बुखार
बुखार शरीर का कुदरती सुरक्षा तंत्र है जो संक्रमण से मुक्ति दिलाता है। इसलिये बुखार कोई बीमारी नहीं है। शरीर का बढा हुआ तापमान रोगाणुओं के प्रतिकूल होता है। लेकिन ज्वर जब 40 डिग्री सेल्सियस अथवा 104 डिग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा हो जाता है तो समस्या गंभीर हो जाती है। थर्मामीटर से दिन में कई बार बुखार नापते रहना उचित है। मुख में जिव्हा के नीचे 2 मिनट तक थर्मामीटर रखने पर समान्य तापमान 98.4 डिग्री फ़ारेनहीट होता है। इससे ज्यादा तापमान होने पर बुखार समझना चाहिये।
बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सर्दी-खांसी, थकावट, चिंता, रोगाणुओं का संक्रमण और दिमागी तनाव प्रमुख कारण होते हैं। घरेलू चिकित्सा से ज्वर दूर करना प्रयोजनीय और हितकारी है।
1.....ललाट और सिर पर बर्फ़ या पानी की गीली पट्टी रखें। इससे आपके शरीर का तापमान शीघ्र ही नीचे आ जाएगा।
2.....बुखार में होने वाले शारीरिक दर्दों के निवारण के लिये हाथ, पैर, ऊंगलियां, गर्दन, सिर, पीठ पर सरसों के तेल की मालिश करवानी चाहिये। इससे शारीरिक पीडा शांत होगी और सूकून मिलेगा।
3.....शरीर पर मामूली गरम पानी डालते हुए स्नान करें इससे शरीर का तापमान बढेगा । शरीर का तापमान ज्यादा होने पर बुखार के रोगाणु नष्ट होंगे। यह प्रक्रिया ज्वर रहित अवस्था में करना है।
4.....बुखार अगर 102 डिग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा न हो तो यह स्थिति हानिकारक नहीं है। इससे शरीर के विजातीय पदार्थों का निष्कासन होता है और शरीर को संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।मामूली बुखार होते ही घबराना और गोली-केप्सूल लेना उचित नहीं है।
5.....बुखार की स्थिति में आईसक्रीम खाना उपयोगी है। इससे तापक्रम सामान्य होने में सहायता मिलती है।
6.....बुखार मे अधिक पसीना होकर शरीरगत जल कम हो जाता है इसकी पूर्ति के लिये उबाला हुआ पानी और फ़लों का जूस पीते रहना चाहिये। नींबू पानी बेहद लाभकारी है।
7.....रोगी को अधिक मात्रा में उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिये। इससे अधिक पेशाब और पसीना होकर शरीर की शुद्धि होगी। जहरीले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
8.....चाय बनाते वक्त उसमें आधा चम्मच दालचीनी का पावडर,,दो बडी ईलायची, दो चम्मच सोंठ का पाउडर डालकर खूब उबालें। दिन में 2-3 बार यह काढा बनाकर पियें। बुखार का उम्दा ईलाज है।
9.....तुलसी की 10 पती और 4 नग काली मिर्च मुंह में भली प्रकार चबाकर खाएं। यह बहुत उपयोगी चिकित्सा है।
10.....रात को सोते वक्त त्रिफ़ला चूर्ण एक चम्मच गरम जल के साथ लें। त्रिफ़ला चूर्ण में ज्वर नाशक गुण होते हैं। इससे दस्त भी साफ़ होगा बुखार से मुक्ति का उत्तम उपचार है।
11.....बुखार के रोगी को भली प्रकार दो तीन कंबल ओढाकर पैर गरम पानी की बाल्टी में 20 मिनिट तक रखना चाहिये। इससे पसीना होने लगेगा और बुखार उतर जाएगा।
12.....ज्वर रोगियों के लिये संतरा अमृत समान है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, तुरंत उर्जा मिलती है और बिगडे हुए पाचन संस्थान को ठीक करता है।
13.....एक चम्मच मैथी के बीज के पावडर की चाय बनाकर दिन में दो बार पीने से ज्वर में लाभ होता है।
14.....एक प्याज को दो भागों में काटें। दोनों पैर के तलवों पर रखकर पट्टी बांधें। यह उपचार रोगी के शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद करता है।
15..... रोगी को तरल भोजन देना चाहिये। गाढा भोजन न दें। सहज पचने वाले पदार्थ हितकारी हैं। उबली हुई सब्जियां, दही और शहद का उपयोग करना चाहिये। ताजा फ़ल और फ़लों का रस पीना उपादेय है। 150 मिलि की मात्रा में गाय का दूध दिन में 4-5 बार पीना चाहिये।
बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सर्दी-खांसी, थकावट, चिंता, रोगाणुओं का संक्रमण और दिमागी तनाव प्रमुख कारण होते हैं। घरेलू चिकित्सा से ज्वर दूर करना प्रयोजनीय और हितकारी है।
1.....ललाट और सिर पर बर्फ़ या पानी की गीली पट्टी रखें। इससे आपके शरीर का तापमान शीघ्र ही नीचे आ जाएगा।
2.....बुखार में होने वाले शारीरिक दर्दों के निवारण के लिये हाथ, पैर, ऊंगलियां, गर्दन, सिर, पीठ पर सरसों के तेल की मालिश करवानी चाहिये। इससे शारीरिक पीडा शांत होगी और सूकून मिलेगा।
3.....शरीर पर मामूली गरम पानी डालते हुए स्नान करें इससे शरीर का तापमान बढेगा । शरीर का तापमान ज्यादा होने पर बुखार के रोगाणु नष्ट होंगे। यह प्रक्रिया ज्वर रहित अवस्था में करना है।
4.....बुखार अगर 102 डिग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा न हो तो यह स्थिति हानिकारक नहीं है। इससे शरीर के विजातीय पदार्थों का निष्कासन होता है और शरीर को संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।मामूली बुखार होते ही घबराना और गोली-केप्सूल लेना उचित नहीं है।
5.....बुखार की स्थिति में आईसक्रीम खाना उपयोगी है। इससे तापक्रम सामान्य होने में सहायता मिलती है।
6.....बुखार मे अधिक पसीना होकर शरीरगत जल कम हो जाता है इसकी पूर्ति के लिये उबाला हुआ पानी और फ़लों का जूस पीते रहना चाहिये। नींबू पानी बेहद लाभकारी है।
7.....रोगी को अधिक मात्रा में उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिये। इससे अधिक पेशाब और पसीना होकर शरीर की शुद्धि होगी। जहरीले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
8.....चाय बनाते वक्त उसमें आधा चम्मच दालचीनी का पावडर,,दो बडी ईलायची, दो चम्मच सोंठ का पाउडर डालकर खूब उबालें। दिन में 2-3 बार यह काढा बनाकर पियें। बुखार का उम्दा ईलाज है।
9.....तुलसी की 10 पती और 4 नग काली मिर्च मुंह में भली प्रकार चबाकर खाएं। यह बहुत उपयोगी चिकित्सा है।
10.....रात को सोते वक्त त्रिफ़ला चूर्ण एक चम्मच गरम जल के साथ लें। त्रिफ़ला चूर्ण में ज्वर नाशक गुण होते हैं। इससे दस्त भी साफ़ होगा बुखार से मुक्ति का उत्तम उपचार है।
11.....बुखार के रोगी को भली प्रकार दो तीन कंबल ओढाकर पैर गरम पानी की बाल्टी में 20 मिनिट तक रखना चाहिये। इससे पसीना होने लगेगा और बुखार उतर जाएगा।
12.....ज्वर रोगियों के लिये संतरा अमृत समान है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, तुरंत उर्जा मिलती है और बिगडे हुए पाचन संस्थान को ठीक करता है।
13.....एक चम्मच मैथी के बीज के पावडर की चाय बनाकर दिन में दो बार पीने से ज्वर में लाभ होता है।
14.....एक प्याज को दो भागों में काटें। दोनों पैर के तलवों पर रखकर पट्टी बांधें। यह उपचार रोगी के शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद करता है।
15..... रोगी को तरल भोजन देना चाहिये। गाढा भोजन न दें। सहज पचने वाले पदार्थ हितकारी हैं। उबली हुई सब्जियां, दही और शहद का उपयोग करना चाहिये। ताजा फ़ल और फ़लों का रस पीना उपादेय है। 150 मिलि की मात्रा में गाय का दूध दिन में 4-5 बार पीना चाहिये।
बुखार
Reviewed by Unknown
on
00:24
Rating:
No comments: