सकारात्मक सोच Positive Thinking

 

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सकारात्मक सोच


एक बार अकबर के हाथ की ऊँगली बुरी तरह घायल हो गई ।
अकबर को व्याकुल देख उन्हें ढांढस बंधाने हेतु बीरबल बोले, ‘भगवान जो करता है, अच्छा ही करता है ।’
इसे सुनकर अकबर को बड़ा गुस्सा आया । उन्होंने फ़ौरन बीरबल को चार दिन के लिए कारागार में डलवा दिया।
दूसरे दिन अकबर शिकार खेलने गए । अकेले होने के कारण उनका शिकार में मन नहीं लगा और रास्ता भटककर वे जंगलियों की बस्ती में जा पहुंचे ।
जंगलियों ने उन्हें पकड़ लिया और बलि चढ़ाने की तैयारी करने लगे ।
ऐसे में बादशाह को बीरबल की कमी बहुत खली ।
वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करूँ । तभी जंगलियों के पुजारी की नज़र अकबर की घायल ऊँगली पर पड़ी तो वह बोला, 'इसे छोड़ दो, इसकी बलि नहीं दी जा सकती, ये खंडित है ।'



अकबर को छोड़ दिया गया ।
जान बचाकर वे अपने राजमहल आए और सोचने लगे की बीरबल ने सही कहा था ।
अगर आज यह कटी ऊँगली न होती तो मैं तो बलि चढ़ गया होता । उन्होंने महल में आते ही बीरबल को रिहा करवाया और बोले, 'तुमने ठीक कहा था बीरबल, ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है ।’
बादशाह ने बीरबल को पूरी घटना बताई और उससे एक प्रश्न किया,
'अगर मेरी ऊँगली घायल न हुई होती तो आज मैं मारा जाता, परन्तु मैंने तुम्हें कारागार में डाला, इसमें तुम्हारा क्या भला हुआ ?'
बीरबल ने कहा, 'जहाँपनाह ! यदि आप मुझे कारागार में न डलवाते तो मैं भी आपके साथ शिकार पर जाता ।
जाहिर है हम दोनों ही जंगलियों द्वारा पकड़े जाते । तब, आपको तो वह खंडित कहकर छोड़ देते, मगर मैं सही सलामत था, इसलिए मेरी बलि चढ़ा देते ।
ईश्वर ने मुझे कारागार में डलवाकर अच्छा ही तो किया ।'
मित्रों ईश्वर जो करता है हमारे लिए अच्छा ही होता है लेकिन हम जाने अनजाने में चीज़ों को गलत सोच लेते हैं ।
अगर आपके साथ कुछ बुरा हुआ है तो भी इसमें कहीं ना कहीं आपका भला ही है ।
इसलिए सदैव सकारात्मक सोचना चाहिए ।

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