लकवा (पक्षाघात) (Paralysis) का सरल उपचार
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आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मतानुसार लकवा मस्तिष्क के रोग के कारण प्रकाश में आता है।इसमें अक्सर शरीर का दायां अथवा बायां हिस्सा प्रभावित होता है। मस्तिषक की नस में रक्त का थक्का जम जाता है या मस्तिष्क की किसी रक्त वाहिनी से रक्तस्राव होने लगता है। शरीर के किसी एक हिस्से का स्नायुमंडल अचानक काम करना बंद कर देता है याने उस भाग पर नियंत्रण नहीं रह जाता है।दिमाग में चक्कर आने और बेहोश होकर गिर पडने से अग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
हाईब्लड प्रेशर भी लकवा का कारण हो सकता है। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर २२० से ज्यादा होने पर लकवा की भूमिका तैयार हो सकती है।
लकवा के प्रकार -
लकवा प्रमुख रूप से इतने प्रकार का हो सकता है।
*लकवा जिस अंग को प्रभावित करता है उसके अनुसार उसका विभाजन किया जाता है।
*मोनोप्लेजिया: इसमें शरीर का एक हाथ या पैर प्रभावित होता है।
*डिप्लेजिया: जिनमें शरीर के दोनों हाथ या पैर प्रभावित होते हैं।
*पैराप्लेजिया: जिसमें शरीर के दोनों धड़ प्रभावित हो जाते हैं।
*हेमिप्लेजिया: इसमें एक तरफ के अंग प्रभावित होते हैं।
*क्वाड्रिप्लेजिया: इसमें धड़ और चारों हाथ पैर प्रभावित होते हैं।
लकवा (पक्षाघात) (Paralysis) का सरल उपचार
पहला प्रयोगः लकवे का अटैक होते ही तुरंत तिल का तेल 50 से 100 ग्राम की मात्रा में थोड़ा-सा गर्म करके पी जायें व साथ में लहसुन खायें। लकवे से प्रभावित अंग एवं सिर पर सेंक करना भी अटैक आते ही आरंभ करें व आठ दिन बाद मालिश करें। इसमें उपवास लाभदायक है।
प्रभावित अंग पर चार दिन के बासी स्वमूत्र की प्रतिलोम गति से मालिश करने से भी लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः पहले दिन लहसुन की पूरी कली पानी के साथ निगलें। फिर रोज 1-1 कली बढ़ाते हुए 21वें दिन 21 कलियाँ निगलें। उसके बाद रोज 1-1 कली घटाते जायें। इस प्रकार करने से लकवा मिटता है।
तीसरा प्रयोगः हरे लहसुन की पत्तियों सहित पूरी डाली का रस निकालकर उसे पानी में मिलाकर पिलाने से बी.पी. के बढ़ने के कारण हुए लकवे में लाभ होता है।
चोथा प्रयोगः लहसुन की 4 कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें।
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