हृदय –परिवर्तन gautam buddha
अंगुलिमाल प्रसिद्ध लुटेरा था | क्रुर और अत्याचारी !जो सामने आ जाता उसे ही लुट लेता |यदि सामने वाला कुछ ना नुकुर करता तो उसकी तलवार उसका गला नापने को सदैव तैयार रहती थी |अपनी माला में पिरोने के लिए वह अंगुलियाँ तो प्राय; सभी के हाथो की काट लेता था वह अपने गले में अंगुलियों की माला पहनता था इसलिए उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा
एक दिन महात्मा गौतमबुध्द घनघोर जंगल में होकर कही जा रहे थे |दूर से अंगुलिमाल ने उन्हें देख लिया |बस फिर क्या था !वह आनन –फानन में जा पहुचा उनके पास आकर बोला साधुजी जो कुछ भी तुम्हारे पास हो उसे सीधी तरह निकाल कर मुझे दे दो अन्यथा तुम्हारे जान की खैर नही |
अंगुलिमाल की बात सुनकर गुरुदेव मुस्कुराये और उसकी आँखों में गहराई से झांककर बोले –वत्स मेरे पास दया और क्षमा जैसे रत्नों का भारी भंडार है |वह तुम्हे सौपता हूँ |झगड़े की क्या जरूरत ?
बुध्द जी का इतना कहना ही मानो जादू हो गया |अंगुलिमाल की दुर्भावना जाने कहाँ चली गई |अपनी तलवार को दूर फेककर वह बुध्द के चरणों में झुक गया और बोला –धन्य हो महात्मन !आज मै मालामाल हो गया |यही कुख्यात लुटेरा अंगुलिमाल बोद्धभिक्षु बन गया |
हृदय –परिवर्तन gautam buddha
Reviewed by Unknown
on
00:24
Rating:
No comments: