अमरूद (जामफल-guava)
अमरूद (जामफल)
अमरूद (जामफल) शीतकाल में पैदा होने वाला, सस्ता और गुणकारी फल है जो सारे भारत में पाया जाता है। संस्कृत में इसे अमृतफल भी कहा गया है।
आयुर्वेद के मतानुसार पका हुआ अमरूद स्वाद में खटमिट्ठा, कसैला, गुण में ठंडा, पचने में भारी, कफ तथा वीर्यवर्धक, रुचिकारक, पित्तदोषनाशक एवं हृदय के लिए हितकर है। अमरूद भ्रम, मूर्च्छा, कृमि, तृषा, शोष, श्रम तथा जलन (दाह) नाशक है। गर्मी के तमाम रोगों में जामफल खाना हितकारी है। यह शक्तिदायक, सत्त्वगुणी एवं बुद्धिवर्धक है, अतः बुद्धिजीवियों के लिए हितकर हैं। भोजन के 1-2 घंटे के बाद इसे खाने से कब्ज, अफरा आदि की शिकायतें दूर होती हैं। सुबह खाली पेट नास्ते में अमरूद खाना भी लाभदायक है।
सावधानीः अधिक अमरूद खाने से वायु, दस्त एवं ज्वर की उत्पत्ति होती है, मंदाग्नि एवं सर्दी भी हो जाती है। जिनकी पाचनशक्ति कमजोर हो, उन्हें अमरूद कम खाने चाहिए।
अमरूद खाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि इसके बीज ठीक से चबाये बिना पेट में न जायें। इसको या तो खूब अच्छी तरह चबाकर निगलें या फिर इसके बीज अलग करके केवल गूदा ही खायें। इसका साबुत बीज यदि आंत्रपुच्छ (अपेण्डिक्स) में चला जाय तो फिर बाहर नहीं निकल पाता, जिससे प्रायः आंत्रपुच्छ शोथ (अपेण्डिसाइटिस) होने की संभावना रहती है।
खाने के लिए पके हुए अमरूद का ही प्रयोग करें। कच्चे अमरूद का उपयोग सब्जी के रूप में किया जा सकता है। दूध एवं फल खाने के बीच में 2-3 घंटों का अंतर अवश्य रखें।
No comments: