अधूरा सच (half truth)
अधूरा सच
बहुत से लोग अपने स्वार्थ को छिपाने के लिए इंसानियत का नकाब लगा लेते है
ताकि जब कभी उन्हें तकलीफ हो तो वे बदले में हक जताते हुए सहायता माग ते है और बिना सच जाने उन्हें
सताते है एसी स्टोरी मै आप को बताती हु
एक नाविक तिन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था | एक रात वह नशे में
धुत था कैप्टन ने इस घटना को रजिस्टर में इस तरह दर्ज किया ‘’नाविक आज रात नशे में धुत था ;;नाविक ने
यह बात पढ़ ली |वह जानता था की इस एक वाक्य से उसकी नोकरी पर असरपडेगा इसलिए वह कैप्टन के पास
गया माफ़ी मागी और कैप्टन से कहा की उसने जो कुछ भी लिखा है उसमे यह भी जोड़ दे की ऐसा तिन साल में
पहली बार हुआ है क्योकि पूरी सच्चाई यही है |कैप्टन ने मना कर दिया और कहा मैंने जो कुछ भी रजिस्टर में
दर्ज किया वही असली सच है |
अगले दिन रजिस्टर भरने की बारी नाविक की थी | उसने लिखा आज की रात
कैप्टन ने शराब नहीं पी |कैप्टन ने इसे पढ़ा और नाविक से कहा की इस वाक्य को या तो बदल दे अथवा पूरी
बात लिखने के लिए आगे कुछ और लिखे क्योकि जो लिखा गया था उसमे जाहिर होता था की कैप्टन हर रात
शराब पीता था |नाविक ने कैप्टन से कहा की उसने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा वही सच है
दोनों बाते सही थी लेकिन दोनों से जो संदेश मिलता है वह एकदम भटकाने वाला है
और उसमे सच्चाई की झलक नहीं है इसे बातो से बात का असर कम होता है हमारी विश्वसनीयता घटती है
और बातो को बढा चढा कर बोलने की हमारी आदत बन जाती है
अधूरा सच (half truth)
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