बच्चे की परवरिश bachche ki paravarish
एक डकैती के मुजरिम को सजा देते समय जज ने उससे पूछा की क्या उसे कुछ कहना है ?उस आदमी ने जवाब दिया ‘’जी हुजूर मुझे कुछ कहना है लेकिन उससे पहले मेरी माँ को मेरे सामने लाया जाय | जज ने अपने नोकरो से कहा की उसकी माँ को बुलाया जाय| उसकी माँ आती है तो उसने अपने माँ को पास बुलाया तो उसकी माँ थोड़ा पास आई तो उस म्ज्लिम ने कहा माँ थोड़ा और पास आओ उसकी माँ माँ और पास आती है तो उसने अपनी माँ की नाक काट दी यह देखकर जज ने कहा की तुम अपनी माँ की नाक क्यों काटी तो उस मुलजिम ने कहा जब मै छोटा बच्चा था तो मैंने स्कुल से पेंसिल चुराई मेरे माँ ने यह जानने के बाद भी मुझे कुछ नही कहा |उसके बाद भी मैंने एक पेन चुराई उन्होंने इस बात को भी नजरअंदाज किया |उसके बाद मै स्कुल और पड़ोसियों के घरों से एक के बाद एक चीजे चुराता रहा और मेरी आदत बन गयी इस बार भी मेरी माँ ने कुछ नही कहा की बेटा चोरी नही करना चाहिए अगर उस वक्त मेरी माँ मेरी गलतियों को सुधारा होता तो आज में यहाँ नही होता इसलिए मैंने अपने साथ अपनी माँ को भी सजा दी इस आदत की आधी सजा मेरी माँ को भी मिलना चाहिए था |
बच्चो के लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है |और बच्चे के गलतियों को नजरअंदाज नही करना चाहिए |बहुत जादा अनुशासन बहुत जादा छूट नही होना चहिये | क्योंकी बच्चे एक कच्चे घडे के सामान है उनको सही दिशा देना माँ के हाथो मै होती है |
बच्चे की परवरिश bachche ki paravarish
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