चरण स्पर्श / वंदना
क्यों किया जाता है चरण स्पर्श / वंदना .... ???
आइये जाने इसके पिछे का वैज्ञानिक कारण ....
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मनुष्य के पांव के अंगूठे में विद्युत संप्रेक्षणीय शक्ति होती है। पैर के अंगूठे द्वारा शक्ति का संचार होता है , यही कारण है कि अपने वृद्धजनों के नम्रतापूर्वक चरण स्पर्श करने से जो आशीर्वाद मिलता है, उससे व्यक्ति की उन्नति के रास्ते खुलते जाते हैं।
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'आह्निक सूत्रावली' नामक ग्रंथ में आता है कि छाती, सिर, नेत्र, मन, वचन, हाथ, पांव और घुटने- इन 8 अंगों द्वारा किए गए प्रणाम को साष्टांग प्रणाम कहते हैं। साष्टांग प्रणाम अधिकतर मंदिरों में किया जाता है। अपने धर्मगुरु, माता और पिता के समक्ष भी साष्टांग प्रणाम कर सकते हैं, परंतु माताओं और बहनों का साष्टांग प्रणाम करना वर्जित माना गया है।
धर्मगुरु, शिक्षक, माता और पिता के अलावा चरण स्पर्श अपने ही परिवार के बुजुर्गों के किए जाते हैं, अन्य किसी व्यक्ति के नहीं। परिवार के सदस्यों को छोड़कर अन्यों के चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। 'पैठीनीस कुल्लूकभट्टीय' ग्रंथ के अनुसार अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर सीधे रखते हुए दाएं हाथ से दाएं चरण तथा बाएं हाथ से बाएं चरण का स्पर्शपूर्वक अभिवादन करना चाहिए। वृद्ध लोगों के आने पर युवा पुरुष के प्राण ऊपर चढ़ते हैं और जब वह उठकर प्रणाम करता है तो पुन: प्राणों को पूर्ववत स्थिति में प्राप्त कर लेता है।
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जब श्रेष्ठ व पूजनीय व्यक्ति चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति के सिर, कंधों अथवा पीठ पर अपना हाथ रखते हैं तो इस स्थिति में दोनों शरीरों में बहने वाली विद्युत का एक आवर्त (वलय) बन जाता है। इस क्रिया से श्रेष्ठ व्यक्ति के गुण और ओज का प्रवाह दूसरे व्यक्ति में भी प्रवाहित होने लगता है। जो महापुरुष चरण स्पर्श नहीं करने देते उनके समक्ष दूर से ही अहोभाव से सिर झुकाकर प्रणाम करना चाहिए ।
इसके साथ साथ अपने ध्यान नहीं दिया होगा की बड़े बड़े गुरु अपने बर्तन भी खुद साफ करते है , क्योंकि हाथों के उंगलियु से भी शक्ति का संचार होता है ,
और यदि किसी ने भी उसमे भोजन किया तो उसमे भी शक्ति का प्रवाह हो जाये गा
और अपने कषक में भी जहा साधू बाबा ध्यान आदि क्रिया करते है वहा भी किसी को जाने नहीं दिया जाता ....
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भारत में हाथ जोड़ कर प्रणाम करने की प्रचलित पद्धति एक मनोवैज्ञानिक पद्धति है। हाथ जोड़ कर आप जोर से बोल नहीं सकते, अधिक क्रोध नहीं कर सकते और भाग नहीं सकते। यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें एक मनोवैज्ञानिक दबाव होता है। इस प्रकार प्रणाम करने से सामने वाला व्यक्ति अपने आप ही विनम्र हो जाता है।
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चरण स्पर्श / वंदना
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