वचन
भारत का प्रधान मंत्री चुने जाने के बाद लाल बहादुर शास्त्री अपनी अस्सी वर्षीय वृध्द माँ के पास गए और उनके चरण –स्पर्श करके कहा –माँ मुझे आशीष दो ! जिसमे अपनी जिम्मेदारी को इमानदारी से निभा संकू |
बेटा ! जैसे प्रत्येक माता की शुभकामना अपने बेटे के प्रति होती है मेरी भी तेरे प्रति है |पर बेटा दायित्व तो तुझे ही निभाना है |अब तेरा प्रत्येक कार्य देश को यशस्वी और शालीन बनाने वाला होना चाहिए |भले ही उसके लिए तुझे अपने जीवन का बलिदान भी देना पड़े |मुझे वचन दे तू ऐसा ही करेगा ?
ऐसा ही होगा माँ ! शास्त्री जी ने श्रद्धा पूर्वक पुनः अपनी माँ के चरण छूते हुए कहा |और शास्त्री जी ने अपने वचन का निर्वाह सचमुच अपने जीवन की बली देकर ही किया |इस बात को संसार जानता है |
माँ का दिया आशीष किसी को भी हरा सकता है | इसलिए माँ को दिया वचन लालबहादुर शास्त्री जी ने बड़े इमानदारी से निभाते रहे और आगे बड़ते चले गये आज उन्हें सारी दुनिया सलाम करती है |
वचन
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