मेरी हर राह पे वो काँटे बिछा देता है ,
खामुखा इक नया इलजाम लगा देता है ।
है मेरे पास न है दूर न है आँखों में ,
अपने होने का पर एहसास करा देता है ।
ख्वाब भी मुझको नहीं देखने देता जालिम ,
खुद व खुद ख्वाब में वो आके जगा देता है ।
रोज टूटा हुआ विश्वास जगाने वाला ,
पूरे विश्वास से हर बार दगा देता है ।
गम मिले या खुशी विश्वास मिले या धोखा ,
जो भी मिलता है मुझे मेरा खुदा देता है ।
मेरी किस्मत का वो हकदार है दिलदार बडा ,
मैं सँजोती हूँ जो वो प्यार लुटा देता है ।
----------------------विजयलक्ष्मी विभा ---
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