अकड़ ego
अकड़
बडी प्रसिद्ध घटना है ,
कि एक अमीर आदमी
यूनान का सबसे बड़ा अमीर आदमी
सुकरात से मिलने गया ।
तो वहीं अकड़ !
स्वाभाविक थी उसकी अकड़ तो ।
जिनके पास कुछ नही है
वे अकड़ते है,
उसके पास तो बहुत कुछ था ।
कि एक अमीर आदमी
यूनान का सबसे बड़ा अमीर आदमी
सुकरात से मिलने गया ।
तो वहीं अकड़ !
स्वाभाविक थी उसकी अकड़ तो ।
जिनके पास कुछ नही है
वे अकड़ते है,
उसके पास तो बहुत कुछ था ।
एथेन्स मे वह सबसे बडा अमीर था ।
सुकरात ने जैसे कुछ ध्यान ही न दिया ।
तो उसने कहा जानते हो मै कौन हूँ ?
सुकरात ने जैसे कुछ ध्यान ही न दिया ।
तो उसने कहा जानते हो मै कौन हूँ ?
सुकरात ने कहा
बैठो समझने कि कोशिश करें।
उसने सारी दुनिया का नक्शा
सामने रखवा लिया।
और उस अमीर से कहा
एथेन्स कहां है ?
तो एथेन्स तो एक बिंदु है
दुनिया के नक्शे पर
अमीर खोज बीन करके
बिंदु पर उंगली रखकर कहा
यह रहा एथेन्स !
बैठो समझने कि कोशिश करें।
उसने सारी दुनिया का नक्शा
सामने रखवा लिया।
और उस अमीर से कहा
एथेन्स कहां है ?
तो एथेन्स तो एक बिंदु है
दुनिया के नक्शे पर
अमीर खोज बीन करके
बिंदु पर उंगली रखकर कहा
यह रहा एथेन्स !
इस एथेन्स में तुम्हारा महल कहां है ?
वह तो बिंदु ही था
उसमे महल कहां बता ये!
उसने कहा इसमे कहां महल बताऊँ ?
वह तो बिंदु ही था
उसमे महल कहां बता ये!
उसने कहा इसमे कहां महल बताऊँ ?
सुकरात ने कहा
इस महल मे तुम कहाँ हो ?
और यह नक्शा केवल पृथ्वी का है ।
अनंत पृथ्वी या है
अनंत सूर्य है ।
तुम हो कौन ?
इस महल मे तुम कहाँ हो ?
और यह नक्शा केवल पृथ्वी का है ।
अनंत पृथ्वी या है
अनंत सूर्य है ।
तुम हो कौन ?
कहते है जब वह जाने लगा ,
तो सुकरात ने वह नक्शा
उसे भेट कर दिया
कि सदा इसे अपने पास रखो
ओर जब भी अकड़ पकड़े कि मैं कौन हूं !
नक्शा खोलकर देख लेना
और अपने से पूँछ लेना मैं कौन हूं।
तो सुकरात ने वह नक्शा
उसे भेट कर दिया
कि सदा इसे अपने पास रखो
ओर जब भी अकड़ पकड़े कि मैं कौन हूं !
नक्शा खोलकर देख लेना
और अपने से पूँछ लेना मैं कौन हूं।
हम ना कुछ है
सब कुछ होने की अकड़ हमे पकड़े है।
वहीं हमारा दुख है ।
जिस दिन तुम जगोगे
और अपने चारो तरफ देखोगे ।
तुम खोते जाओगे
तुम इधर छोटे होओगे
उधर परमत्मा कि विराटता प्रकट होगी।
जैसे तुम शून्य होते जाओगे
वह तभी प्रकट होगा...!!
सब कुछ होने की अकड़ हमे पकड़े है।
वहीं हमारा दुख है ।
जिस दिन तुम जगोगे
और अपने चारो तरफ देखोगे ।
तुम खोते जाओगे
तुम इधर छोटे होओगे
उधर परमत्मा कि विराटता प्रकट होगी।
जैसे तुम शून्य होते जाओगे
वह तभी प्रकट होगा...!!
अकड़ ego
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