बिदाई FAREWELL




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लघु कथा - बिदाई
आज घर मे कोहराम मच गया था । आज जम कर लड़ाई हो गई थी भाई बहन मे ।
" सरिता , जब तेरी शादी हुई थी तो माँ बापू ने तुम्हे ढेर सारा दहेज दिया था। आधा हिस्सा तो तो तुम उस समय बंटबा कर ले गई थी "- बुरी तरह उखड़ गया था आज सुधीर ।
" तो क्या । आपकी शादी पर खर्च नही हुआ ? एक बात और बापू की प्रॉपटी मे मेरा हक़ नही है क्या " - सरिता भी आज लड़ने के मूड मे आई थी ।
" मैँ पिछले पन्द्रह सालों से माँ बापू की टहल सेवा कर रहा हूँ । तब तुम कहाँ थी जब माँ अस्पताल मे थी ? "
" आपको जानकारी है कि मेरे ससुराल मे मुझे सास ससुर व यहां तक समीर से भी कितने ताने सुनने पड़ते हैं" - सरिता आज प्रॉपर्टी के बंटबारे पर उतारू थी ।
" ठीक है सरिता , तो फिर माँ बापू मे से एक तेरे पास ही रहेंगे ।" सुधीर ने अपना फैसला सुनते हुए कहा ।
अब तक सब कुछ चुपचाप सुन रहे माँ बापू ने छाता तान कर वृद्धाश्रम की राह पकड़ ली जबकि रिमझिम फुहारों के बीच प्रकृति भी मानो रो पड़ी थी ।






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