सच्चा न्याय(JUSTICE)
सच्चा न्याय
" इंडोनेशिया के जज 'मरज़ुकी' , एक बूढ़ी औरत के चोरी के मामले की सुनवाई कर रहे थे !! बूढ़ी औरत ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था कि उसने एक बाग़ से कुछ मांड चुराई थी !!
उसने गिडगडाते हुए जज से प्रार्थना की, " जज साहब, मैं बहुत गरीब हूँ, मेरा बेटा बीमार है, मेरा पोता बहुत भूखा था, इसलिए मज़बूरन चोरी कर बैठी !! "
बाग़ का मैनेजर बोला, " जज साहब, इसे कड़ी सज़ा दो ताकि दूसरों को नसीहत मिले !!
बाग़ का मैनेजर बोला, " जज साहब, इसे कड़ी सज़ा दो ताकि दूसरों को नसीहत मिले !!
" जज ने सारे पेपर जांच करने के बाद, नज़र ऊपर उठाई और बूढ़ी औरत को कहा, " मुझे बहुत दुःख है, परन्तु मैं कानून से नहीं हट सकता। इसलिए, तुम्हे
क़ानून के तहद सज़ा ज़रूर मिलेगी। क़ानून में तुम्हारे इस अपराध की सज़ा है एक सौ डॉलर और ये जुर्माना ना देने पर ढाई साल की जेल !! "
क़ानून के तहद सज़ा ज़रूर मिलेगी। क़ानून में तुम्हारे इस अपराध की सज़ा है एक सौ डॉलर और ये जुर्माना ना देने पर ढाई साल की जेल !! "
बूढ़ी औरत रोने लगी क्योंकि वो जुर्माना नहीं भर सकती थी !! तब जज साहब ने अपने सर से टोप उतारा और उसमें 11 डॉलर डाल कर बोले, " सच्चे न्याय के
लिए, जो लोग इस अदालत में हाज़िर हैं वो हर एक साढ़े पांच डॉलर जुर्माने के तौर पर दें। शहर के नागरिक के रूप में सबका जुर्म है कि क्यों एक मासूम बच्चा भूखा रहा और इस बूढ़ी गरीब औरत को चोरी तक करने पर मज़बूर होना पड़ा।
लिए, जो लोग इस अदालत में हाज़िर हैं वो हर एक साढ़े पांच डॉलर जुर्माने के तौर पर दें। शहर के नागरिक के रूप में सबका जुर्म है कि क्यों एक मासूम बच्चा भूखा रहा और इस बूढ़ी गरीब औरत को चोरी तक करने पर मज़बूर होना पड़ा।
कोर्ट के रजिस्ट्रार को हिदायत है कि वो सब उपस्थित लोगों से ये जुर्माना ले लें।! ” बाग़ के मैनेजर से मिला कर सबसे 350 डॉलर की रकम इकठ्ठी हुई जिससे जुर्माने की रकम काटने के बाद , शेष बचे 250 डॉलर उस बूढ़ी औरत को दे दिए गए !!
शिक्षा :
देश की सरकार का सबसे पहला कर्तव्य है कि वो जनता को एक निस्वार्थ ईमानदार संवेदनशील पारदर्शी जवाबदेह सुशासन दे !!
देश की सरकार का सबसे पहला कर्तव्य है कि वो जनता को एक निस्वार्थ ईमानदार संवेदनशील पारदर्शी जवाबदेह सुशासन दे !!
जनलोकपाल, स्वराज, पूरा नोटा, राईट टू रिजेक्ट के बुनियादी क़ानून बनाये !! चुनाव, पुलिस, न्यायिक और प्रशासनिक सुधार करे !! संस्थायें और मीडिया स्वायत्त हों !!
बिना भेदभाव, हर नागरिक को सम्पूर्ण सुरक्षा, अच्छी स्वास्थ्यसेवा, अनिवार्य अच्छी शिक्षा, शीघ्र सस्ता न्याय, रोज़गार और सुखी जीवन सुनिश्चित करे !!
क्या कभी ऐसा अपने देश की अदालतों में भी होगा ?? इस सच्ची घटना से मुझे ये ज्ञान हुआ है , कि न्यायपूर्ण होने के साथ साथ संवेदनशील होना भी महत्वपूर्ण है !!
क्या कभी ऐसा अपने देश की अदालतों में भी होगा ?? इस सच्ची घटना से मुझे ये ज्ञान हुआ है , कि न्यायपूर्ण होने के साथ साथ संवेदनशील होना भी महत्वपूर्ण है !!
सच्चा न्याय(JUSTICE)
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