माँ की सुंदर सीख




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माँ की सुंदर सीख

               एक छोटा शहर  शिल्पी था उस गाव में सविता नामक एक ओरत रहती थी सविता की बहु मनोरमा को ससुराल में अभी कुछ दिन ही हुए थे वह घर में कही दिखाई नहीं दी तो उसने अपनी बेटी काजल से पूछा की तुम्हारी भाभी दखाई नहीं दे रही तो काजल ने कहा माँ भाभी बाजार गयी है सविता ने बोला की काजल तुम भाभी के साथ चले जानाथा तो काजल बोली की भाभी क्या छोटी बच्ची है माँ सविता को काजल की बात सुनकर असंतोष व गम्भीरता छा गयी सविता ने फिर काजल से बोला सुबह मैंने तुम्हारी तेज आवाज सुनी थी क्या हुआ था काजल काजल बोली हां भाभी मेरे से पूछ रही थी की सब्जी और दाल में नमक कितना डालू मैंने कह दिया जितना डालना उतना डालो  मैं कुछ नहीं जानती  सविता ने बोला की भाभी ने तुझे  कुछ नहीं बोला काजल ने बोला नहीं  तो सविता ने कहा तुमने यह ठीक नहीं किया बेटी सविता ने काजल को अपने पास बैठाया और अपने जीवन का अनुभव काजल को बताने लगी 

             जब मैं पहली बार ससुराल में आई मुझे खाना बनाने नहीं आता था मेरी सोतेली माँ ने मुझे कुछ नहीं सिखाया था ससुराल में आते ही मुझेखाना बनाना था मैंतो सोच में पड गई और मैं रोने लगी कुछ समय में मेरी ननदविमला आई  मैंने अपना सारा हाल उन्हें बताया तो उन्होंने बोला चिंता नहीं करो भाभी मैंतुम्हे सब कुछ बताउंगी विमला ने मुझे सब सिखाया और जब भी अगर मेरी गलती होती तो वह अपने उपर लेलेती जब कोई अच्छा काम होता उसकी तारीफ़ मुझे दिलाती उस तरीके से उन्होंने मेरी बहुत मदद करती थी और हम दोनों एक दुसरे की मदद करते थे  देखने वाले बोलते थे  की हम दोनों बहन की तरह रहते हे

               सविता ने कहा की काजल तेरी भाभी को सब कुछ आता है पर यहाँ के रीती रिवाज तो वह नहीं जानती तुझे उनकी मदद करनी चाहिए कठोर व्यवहार करना तेरी गलती है तू उसकी ननद नहीं बहन बनकर उससे व्यवहार कर तभी तुझे भी  तेरी ससुराल में अपनी ननद से स्नेह सहानुभूति भरा व्यवहार मिलेगा अगर तू ससुराल जाय और तुझे  वहा तेरी जेठानी या देवरानी तुझसे कम योग्यतावालीहो तो तू अभिमानी न बनना बल्किउन्हें भी मददरूप होना तभी तेरी  योग्यता खिलेगी और तू सबके स्नेह की पात्र बनेगी



              काजल को अपनी गलती का अहसास हुआ उसने अपनी भाभी से माफ़ी मागी और दोनों एक साथ मिलकर रहने लगी  सविता का मुख संतोष और आनंद से चमक उठा


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