कथनी और करनी do what you say
ईश्वर ने मनुष्य को अन्य प्राणियो से श्रेष्ठ बनाया है. कई गुणों से उसे सवारा है इसका उसे अभिमान भी होता है परन्तु स्वयं को गुणों की खान समझाने वाला व्यक्ति कई बार ऐसे कार्य करता है जिन्हें वह गलत बताता है कथनी और करनी में अंतर के ऐसे कई उदाहरण रोज देखने में आते है
बस्ती के बीच सरकार ने पार्क बनाने की जगह छोड़ रखी थी .बरसात के मोसम में मुहल्ले के एक सज्जन को उसमे फूलो के लगाने की सूझी ,बात अच्छी थी ,वे कही से पोधे लाए ,कतारसे उन्हें रोपा .देखभाल की .पोधे बड़े हो गए ,कुछ दिनों बाद फुल खिलने लगे ,पार्क अच्छा लगने लगा ,मुहल्ले के लोग सुबह शाम पार्क मे टहलने लगे ,फूलो सबको अच्छे लगते है ,पार्क में लोगो के आने-जाने से यह लगा की लोग इन फूलो को तोड़ कर ले जाएँगे ,उन्होंने एक तख्ती के उपर यह लिखकर टांगदिया की “फुल तोडना मना है”
आते –जाते सब उसको पढते कोई भी फूलो को नही तोड़ता ,पर मजे की बात तब सामने आई जब लोगो ने तख्ती लगाने वाले सज्जन को बड़े सबेरे जल्दी –जल्दी फुल तोड़ते देखे गए ,वे अपनी शर्म मिटाने के लिए बोले ‘’पूजा के लिए तोड़ रहा हूँ .
बसों में लिखा होता है ‘’धूम्रपान करना निषेध है ,’’एक बार यात्रा करते हुएदेखा की एक यात्री ने बीडी जलाई और पिने लगा ,उसे देखकर कंडक्टर ने कहा ‘’भाई साहब बस में बीडी –सिगरेट पीना मना है .उसने जलती बीडी खिडकी से बहार फेकवा दिया
थोड़ी देर बाद कंडक्टरड्राईवर के केबिन में जाकर बैठा सिगरेट जलाई और दोनों पिने लगे एक दूसरे यात्री ने यह देखा तो लिखे हुए वाक्य की तरफ इशारा करते हुए कंडक्टरसे कहने लगे ‘’भाई साहब बस में सिगरेट पीना मना है ‘’इस पर कंडक्टरशिघ्र बोल उठा यह वाक्य आपके लिए है न की हमारे लिए
कई लोग ऐसे होते है जो आदर्श की बाते तो करते है . पर उन्हें अपनाते नहीं है इस प्रकार का आचरण अच्छा नहीं होता ऐसा आचरण करने वाले को न कभी सम्मान नहीं मिलता वे हसी के पात्र बनाते है इसलिए हमें कथनी और करनी में सदैव समानता रखनी चाहिए
हो कथनी –करनी एक सामान
जग में मिलता तब सम्मान
कथनी और करनी do what you say
Reviewed by Unknown
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