कसौटी ksauti

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एक दिन गुरु द्रोणाचार्य शिष्यों के साथ गंगा में स्नान करने गए जैसे ही उन्होंने गंगा

में गोता लगाया अचानक एक मगरमच्छ ने उनके पैर की पिडली पकड़ ली लेकिन शिष्यों की परीक्षा के लिए वे

बाहर से हडबडाते हुए चिलाने की लीला करने लगे बचाओ बचाओ इस  ग्राह से मेरी रक्षा करो उनके शिष्य एक

दूसरे का मुह ताकते हुए बोले गुरु जी को हुआ क्या है की गुरु जी चिल्ला रहे है

शिष्यों  ने देखा की मगरमच्छ पकड़ा है तो एक दूसरे का मुह देख रहे की अब क्या किया

जाय जिससे रक्षा किया जाय तभी उनके आँखों के सामने से ५ बाण गुजरे और देखते ही

देखते उन बाणों ने पानी के भीतर ही ग्राह के शरीर को छलनी कर दिया  सब देखने लगे की वह है कोन

जो बाण की बोछार किये जब देखा तो अर्जून कुछ ही दूरी पर हाथो में धनुष लिए ग्राह पर निशाना

साधकर खडा था गुरु जी तो धनुरविद्या तो सभी को सिखाई थी लेकिन अर्जुन ने कुशलता व

तत्परतापूर्वक गुरूजी द्वारा सिखाई गयी विद्या को सिद्ध कर दिया

दोणाचार्य जी अर्जुन पर अत्यंत प्रसन्न हुए उन्होंने उसे तीनों लोको में आसाधारण तथा सब अस्त्रों

से बढकर प्रभाववाला ब्रहाशिर नामक अस्त्र प्रदान किया और आर्शीवाद देते हुए बोले बेटा अर्जुन तुमने

अपनी दृढ निष्ठा सेवा में तत्परता और अभ्यास में लग्न के प्रभाव से धनुरविद्या में श्रेष्ठ ता सिद्ध कर

दी तुम्हारे समान संसार में दुसरा कोई धनुर्धर नहीं होगा
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