मुखोटा mukhuta


मुखोटा


मुखोटा,mukhuta


घटिया दर्जे के आत्मसम्मान  वाले एक अधिकारी को तरक्की दी गई

लेकिन वह खुद को अपने नए ओहदे के मुताबिक़ ढाल नहीं पा रहा था | एक दिन वह अपने दफ्तर में बैठा था

तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया |अपनी व्यस्तता और महत्व दिखाने के लिए उसने फोन उठा लिया और

दरवाजा खटखटाने वाले से अंदर आने के लिए कहा |वह आदमी अंदर आ कर इन्तजार करता रहा और उस

दोरान वह अधिकारी सिर-सिर हिला –हिला कर फोन पर बात करता रहा | बिच बिच में वह कहता जा रहा था

चिंता कि कोई बात नहीं मै सब सम्भाल लूंगा | कुछ मिनट के बाद उसने फोन रख कर कहा इन्तजार कर रहे

आदमी से आने कि वजह पूछी |उस आदमी ने कहा ‘’ सर मै आपका फोन  कनेक्ट करने आया हू " यह सुनकर

अधिकारी शरमा जाता है

इस तरह का व्यवहार असुरक्षा और घटिया दर्जे के

आत्मसम्मान से जन्म लेता है

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