कुल्हाड़ी के धार kulhadi ke dhar


अपनी कुल्हाड़ी के धार तेज करो 


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एक बार कि बात है एक रामू नाम एक लकडहारा पांच सालो से लकड़ी काटने वाले कम्पनी में लकड़ी काटता था लेकिन वह ज्यादा लकड़ी नहीं काट पाता था जिससे उसकी तरक्की नहीं  होती थी लेकिन कुछ दिनों के बाद उसी कम्पनी एक सुरेश नाम का एक लड़का नोकरी करने के लिए आया उस सुरेश नामक लकडहारे एक दिन में काफी ज्यादा लकड़ी काटता जिससे उसकी मेहनत को देखकर कम्पनी वालो ने सुरेश तरक्की दे दी गई  | लेकिन पहले लकडहारे रामू ने सुरेश के तरक्की को लेकर विरोध किया तो कम्पनी का मालिक बोला कि तुम अब भी उतने ही पेड काटते हो जितना पांच साल पहले काटते थे हमारी कम्पनी में नतीजे को देखा जाता है अगर तुम अधिक पेड काटो तो तुम्हारा वेतन बढाने में मुझे खुशी होगी |
रामू वापस आया और पेड काटने लगा लेकिन वह उतनी मेहनत किया लेकिन लकड़ी उतना काट नहीं पाया जितना सुरेश ने काटा था |रामू सुरेश से पुछता है कि मै भी उतना ही मेहनत करता हू लकिन तुम्हारे इतना लकड़ी नहीं काट पाता तो सुरेश कहता है कि मै एक पेड़ काटने के बाद  थोड़ा टाइम आराम करता हू और अपने कुल्हाड़ी के धार को तेज करता हू फिर लकड़ी काटता हू | तुमने अपनी कुल्हाड़ी के धार पिछली बार कब तेज की थी ?
अक्सर हम अपनी ज़िन्दगी कि शुरुवात में या करियर कि में आपने आपसे कुछ टारगेट या उदेश्य रखते है पर उसके कुछ समय बाद हम अपने मूलभूत उदेश्य को भूल कर अलग रह पर चल पड़ते  है या रुक जाते है | हमें अपने लक्ष्य को रोज याद करके निरंतर  आगे  बढ़ना चाहिए |
पिछली  शिक्षा और गौरव का ज्यादा महत्व नहीं होता | हमें अपनी कुल्हाड़ी की धार लगातार तेज करनी होगी |

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