दृढता manfulness
एक बार राजा विक्रमादित्य जंगल से जा रहे थे तभी उन्हें एक ब्राहमण निराश होकर सूर्य भगवान को अरघ दे रहे थे . राजा ने निराशा का कारण पूछा तब ब्राहमण देवता ने कहा मैं वर्षों से सूर्य भगवान के लिए तप कर रहा हू यज्ञ में आहुति भी देता हू पर मुझ पर सूर्य भगवान प्रसन्न नही हुए और उन्होंने मुझे दर्शन भी नहीं दिया इसलिए मैं निराश हो गया हू
तब राजा विक्रमादित्य ने कहा “ब्राहमण देवता आप तप तो कर रहे है पर उसका फल नहीं मिल रहा है इसका दो ही कारण हो सकते है पहला ये की आप क्रोध करते हो जिससे आपकी तपस्या नाश हो जाती है और दूसरा आप में दृढता नहीं होगी जिससे आपकी तपस्या का फल आपको नहीं मिला ‘’ तब ब्राहमण ने कहा “मैंने क्रोध तो नहीं किया है ”.
तब राजा विक्रमादित्य ने कहा “ब्राहमण देवता अभी मैं भी आपके साथ सूर्य देवता की आराधना करता हू और यज्ञ में आहुति भी देता हू शाम तब सूर्य भगवान ने मुझे दर्शन नहीं दिया तो मैं इसी यज्ञ में अपना सर काट कर यज्ञ में आहुति दे दूँगा ” राजा ने शाम तक यज्ञ किया पर सूर्य भगवान ने दर्शन नहीं दिया तब राजा ने म्यान में से तलवार निकाली और अपना सर काटने को उद्धत हुए तभी सूर्य भगवन प्रगट हो गए और उन्हें आशिर्वाद दिया
सूर्य भगवान ने कहा “ ब्राहमण देवता दृढता से किया हुआ कोई भी कार्य तुरंत फल देता है कोई भी महान कार्य के लिए दृद संकल्प और पुरुषाथ से आसानी से पूर्ण हो जाता है ” ब्राहमण देवता को अब बात समझ आ गयी थी उन्होंने सूर्य भगवान और राजा विक्रमादित्य को प्रणाम किया और उनका अभिवादन किया
दृढता manfulness
Reviewed by Unknown
on
00:24
Rating:
No comments: